मन देखन चाहे बारम्बारी गज़ब देहन है पावक नारी। मन देखन चाहे बारम्बारी गज़ब देहन है पावक नारी।
अपने मस्तक को आराम देती हो और किसी के स्वप्न में लीन हो जाती हो। अपने मस्तक को आराम देती हो और किसी के स्वप्न में लीन हो जाती हो।
ज़माने की नज़र में कुछ भी हूँ मैं, पर अब ज़िंदगी से भरपूर नज़र आती हूँ मैं। ज़माने की नज़र में कुछ भी हूँ मैं, पर अब ज़िंदगी से भरपूर नज़र आती हूँ मैं।
कविता पढ़ें और महसूस करें... कविता पढ़ें और महसूस करें...
मनुष्य के मानसिक विकास का अध्ययन किया जाता है मनुष्य के मानसिक विकास का अध्ययन किया जाता है
कभी ऊँच तो कभी नीच बहती गंगा पावन है। कभी ऊँच तो कभी नीच बहती गंगा पावन है।